भोपाल। मध्यप्रदेश में तीन साल से लागू तबादला प्रतिबंध अब हटने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने अफसरों और कर्मचारियों के प्रशासनिक और स्वैच्छिक तबादलों को लेकर पूरी नीति तैयार कर ली है। सूत्रों की मानें तो मई के अंत तक या जून की शुरुआत में ट्रांसफर नीति का ऐलान हो सकता है। सबसे खास बात यह है कि अब प्रभारी मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों में तबादलों का अधिकार मिल सकता है।
20% से ज्यादा तबादले नहीं होंगे
नई तबादला नीति में साफ निर्देश है कि किसी भी संवर्ग में 20 फीसदी से अधिक तबादले नहीं किए जाएंगे। यानी पूरी प्रक्रिया पर नियंत्रण रखा जाएगा ताकि व्यवस्था में अनावश्यक उथल-पुथल न हो। यह भी तय किया गया है कि जिन अधिकारियों को मुख्यमंत्री की सिफारिश या नोटशीट के आधार पर पदस्थ किया गया है, उनके तबादले सिर्फ मुख्यमंत्री समन्वय की अनुमति से ही होंगे।
किन आधारों पर होंगे ट्रांसफर?
सरकार ने कुछ स्पष्ट मानक तय किए हैं जिनके आधार पर तबादले संभव होंगे। इनमें गंभीर बीमारी, पति-पत्नी को एक ही स्थान पर पदस्थ करना, प्रशासनिक कारणों से जरूरत और कर्मचारियों की स्वैच्छिक मांग शामिल है। आदिवासी क्षेत्रों में तबादले विशेष परिस्थितियों में ही होंगे, वह भी तब जब उस स्थान पर दूसरे अधिकारी की तैनाती पहले सुनिश्चित हो जाए।
चार लाख कर्मचारी, लेकिन रोक के चलते अटकी फाइलें
मध्यप्रदेश में वर्तमान में चार लाख से ज्यादा नियमित सरकारी कर्मचारी हैं। लेकिन बीते तीन वर्षों में सामान्य तबादलों पर पूरी तरह रोक लगी रही। सिर्फ मंत्रियों को विशेष परिस्थिति में तबादलों का अधिकार था, लेकिन विधानसभा का बजट सत्र और राजनीतिक व्यस्तताओं के चलते इनका भी सीमित इस्तेमाल हो सका।
कई अफसर एक ही जगह पर सालों से जमे
सीएम कार्यालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कई विभागों में मैदानी स्तर पर अफसर सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं, जिससे प्रशासनिक निष्पक्षता और कार्यक्षमता पर असर पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि तबादला नीति में इन पहलुओं का ध्यान रखा जाए और नीति को जल्दी लागू किया जाए।
फाइलें तैयार, बस औपचारिक ऐलान बाकी
सूत्रों के मुताबिक तबादलों की सूची लगभग तैयार हो चुकी है। केवल तबादला नीति की औपचारिक घोषणा बाकी है। इसके बाद ही IAS-IPS समेत अन्य अधिकारियों के नामों पर अंतिम फैसला होगा। अब सभी की निगाहें मोहन सरकार के इस बड़े फैसले पर टिकी हैं, जो वर्षों से रुकी बैठकों और अटकी फाइलों को गति देने वाला साबित हो सकता है।
फिलहाल मंत्रियों को ताकत, लेकिन CM की मंजूरी जरूरी
नवीन नीति में मंत्रियों को जिलों में ट्रांसफर का अधिकार मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन कुछ संवेदनशील और राजनीतिक रूप से नियुक्त अधिकारियों के मामले सीधे मुख्यमंत्री की जानकारी और अनुमति से ही निपटाए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई तबादला राजनीतिक लाभ या दबाव में न हो।