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15 Mar 2025, Sat

इंदौर जिले के 64 में से 51 मदिरा एकल समूहों का निष्पादन नवीनीकरण और लॉटरी के माध्यम से संपन्न

न्यूज कांड इंदौर

कुल आरक्षित मूल्य का 83% निष्पादित, शेष समूहों का निष्पादन ई-टेंडर से होगा

इंदौर, 27 फरवरी 2025

वर्ष 2025-26 के लिए घोषित मध्यप्रदेश की आबकारी नीति के तहत इंदौर जिले के 64 मदिरा एकल समूहों का निष्पादन नवीनीकरण और लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया। इस प्रक्रिया के तहत कुल 64 समूहों के लिए आवेदकों से आवेदन प्राप्त किए गए थे, जिनमें से 51 समूहों का निष्पादन सफलतापूर्वक संपन्न किया गया है। इस प्रकार, इंदौर जिले में आबकारी नीति के तहत निष्पादन प्रक्रिया का 83 प्रतिशत सफलतापूर्वक संपन्न किया गया, और शेष समूहों का निष्पादन भी जल्द ही निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा।

नवीनीकरण आवेदन और लॉटरी प्रक्रिया में 40 समूहों का नवीनीकरण हुआ

इंदौर जिले में कुल 173 कंपोजिट मदिरा दुकानों के 64 एकल समूहों का मूल्य वर्ष 2024-25 के मुकाबले 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया था। जिनका कुल आरक्षित मूल्य 17 अरब 81 करोड़ 51 लाख 11 हजार 998 रुपये था। इनमें से 40 समूहों के लाइसेंसियों द्वारा नवीनीकरण आवेदन प्रस्तुत किए गए थे, जिनका आरक्षित मूल्य 11 अरब 65 करोड़ 44 लाख 08 हजार 531 रुपये था।

नवीनीकरण आवेदन रहित समूहों पर लॉटरी प्रक्रिया अपनाई गई

अन्य 24 समूहों का आरक्षित मूल्य 61 अरब 60 करोड़ 70 लाख 3 हजार 467 रुपये था, जिनके लिए लॉटरी प्रक्रिया का आयोजन किया गया। यह लॉटरी प्रक्रिया 27 फरवरी 2025 को कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर श्री आशीष सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें 11 समूहों पर लॉटरी के माध्यम से आवेदन प्राप्त किए गए, जिनका कुल आरक्षित मूल्य 3 अरब 11 करोड़ 14 लाख 59 हजार 390 रुपये था।

निष्पादन कार्यवाही में सफलतापूर्वक 38 लॉटरी आवेदन किए गए

कलेक्टर कार्यालय में आयोजित लॉटरी प्रक्रिया के दौरान 38 आवेदन प्राप्त हुए, जिनका निराकरण पर्ची निकालकर किया गया। आज निष्पादित होने वाले समूहों में इंदौर के विभिन्न स्थानों जैसे एम.आई.जी., तोपखाना, मांगलिया, देपालपुर, सांवेर, हातोद, गौतमपुरा, धरमपुरी और चौपाटी पीथमपुर रोड शामिल हैं। इन समूहों में कुल 139 मदिरा दुकानें सम्मिलित हैं।

कुल आरक्षित मूल्य का 83% निष्पादित, शेष का निष्पादन ई-टेंडर से होगा

इस प्रक्रिया के तहत 51 समूहों (जिनमें 139 मदिरा दुकानें शामिल हैं) का कुल आरक्षित मूल्य 14 अरब 76 करोड़ 58 लाख 67 हजार 921 रुपये रहा, जो जिले के कुल आरक्षित मूल्य 17 अरब 81 करोड़ 51 लाख 11 हजार 998 रुपये का लगभग 83 प्रतिशत है। जिला निष्पादन समिति ने इस निष्पादन को अंतिम रूप दिया है।

शेष 34 समूहों का निष्पादन ई-टेंडर और ई-टेंडर कम ऑक्शन से होगा

शेष 34 समूहों, जिनमें कुल 34 मदिरा दुकानें शामिल हैं, का आरक्षित मूल्य 30 अरब 49 करोड़ 24 लाख 4 हजार 77 रुपये है। इन समूहों का निष्पादन आगामी दिनों में आबकारी नीति के अनुसार ई-टेंडर और ई-टेंडर कम ऑक्शन के माध्यम से किया जाएगा। इस संबंध में सूचना अलग से जारी की जाएगी।

मध्यप्रदेश शराब पॉलिसी (MP Excise Policy)

मध्यप्रदेश सरकार की शराब नीति (Excise Policy) को राज्य में शराब की बिक्री, वितरण, और इसके प्रशासन से संबंधित नियमों को निर्धारित करने के लिए लागू किया गया है। यह नीति राज्य के वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने, शराब की बिक्री पर नियंत्रण रखने और शराब से जुड़े अपराधों को कम करने के उद्देश्य से बनाई जाती है। राज्य में शराब की बिक्री के लिए सरकार द्वारा जारी की गई नीति हर वर्ष अपडेट की जाती है, जिसमें बदलाव और संशोधन किए जाते हैं।

मुख्य उद्देश्य और प्रमुख पहलू:

1. आबकारी शुल्क और टैक्स:

मध्यप्रदेश सरकार शराब पर एक निश्चित शुल्क और टैक्स लगाती है, जो राज्य के राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस पॉलिसी में शराब के विभिन्न प्रकार (जैसे, देशी, विदेशी, बीयर, वाइन आदि) पर शुल्क और टैक्स की दरें तय की जाती हैं।

2. लाइसेंसिंग और दुकानें:

राज्य में शराब की दुकानें संचालित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होता है। शराब की दुकानों के लिए सरकार एकल और कंपोजिट लाइसेंस (composite and single licenses) जारी करती है। एकल लाइसेंस में एक दुकान का संचालन होता है, जबकि कंपोजिट लाइसेंस में एक ही लाइसेंस के तहत कई दुकानों का संचालन किया जा सकता है।

3. लॉटरी और नवीनीकरण प्रणाली:

सरकार द्वारा शराब दुकानों के संचालन के लिए लॉटरी प्रणाली लागू की जाती है, जिससे विभिन्न क्षेत्रीय और निजी कारोबारियों को शराब के लाइसेंस मिलने की प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहती है। प्रत्येक वर्ष, कुछ दुकानों के लिए नवीनीकरण प्रक्रिया भी होती है, जिसमें पुराने लाइसेंस धारक आवेदन करके लाइसेंस को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।

4. शराब के विक्रय स्थानों का निर्धारण:

मध्यप्रदेश में शराब की बिक्री के लिए स्थानों का निर्धारण भी इस नीति के तहत किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि शराब की दुकानें नागरिक क्षेत्रों से दूर हों और सार्वजनिक स्थानों पर न हो। इसके अलावा, शराब की बिक्री के समय की भी सीमा तय की जाती है, ताकि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखी जा सके।

5. शराब के सेवन के स्थान:

सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने पर प्रतिबंध है। शराब पीने के लिए निश्चित स्थान जैसे कि बार, क्लब या होटल में ही अनुमति होती है। इसके अलावा, शराब की बिक्री की उम्र सीमा भी निर्धारित होती है, जो सामान्यतः 21 वर्ष होती है।

6. शराब से जुड़े अपराधों का नियंत्रण:

मध्यप्रदेश की शराब नीति में शराब के अवैध विक्रय, चोरी, और शराब के नशे में गाड़ी चलाने जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं। इसके तहत शराब पीकर गाड़ी चलाने पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है।

7. नवीनतम बदलाव और सुधार:

हर वर्ष सरकार अपनी शराब नीति में कुछ बदलाव और सुधार करती है। उदाहरण के तौर पर, 2025-26 के लिए जारी की गई नीति में शराब दुकानों के लिए मूल्य वृद्धि की योजना थी, जिसमें कुछ दुकानों के लिए 20 प्रतिशत मूल्य वृद्धि की गई। इसके अलावा, राज्य में अधिकतम शराब दुकानों का निष्पादन लॉटरी के माध्यम से किया जाता है, जो इस प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाता है।

8. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा:

मध्यप्रदेश सरकार स्थानीय शराब उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाती है। इसमें स्थानीय शराब उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं और सहायता शामिल होती है, ताकि राज्य के छोटे शराब उत्पादक उद्योग को प्रोत्साहन मिले।

9. आबकारी नीति का निगरानी और कार्यान्वयन:

राज्य सरकार द्वारा आबकारी विभाग को इस नीति का पालन करने और विभिन्न शराब दुकानों और संबंधित व्यवसायों की निगरानी करने का कार्य सौंपा गया है। विभाग यह सुनिश्चित करता है कि शराब की बिक्री नियमों के अनुसार हो रही है और किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या गड़बड़ी को रोका जा सके।