बेतवा नदी संरक्षण: आईआईटी विशेषज्ञ बना रहे डीपीआर, जल गंगा संवर्धन अभियान से जुड़ा जन आंदोलन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल संरक्षण के संकल्पों को साकार करने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में 30 मार्च से ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ शुरू किया गया है। यह अभियान 30 जून, गंगा दशहरा तक चलेगा। इस पहल का उद्देश्य नदियों, तालाबों, बावड़ियों और कुओं के संरक्षण और पुनर्जीवन के माध्यम से जल संकट से निपटना है। इस अभियान के तहत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले जलस्रोतों की सफाई और पुनरुद्धार किया जा रहा है, ताकि भविष्य में जल संकट का सामना न करना पड़े। विदिशा जिले की जीवनरेखा मानी जाने वाली बेतवा नदी की दीर्घकालिक सुरक्षा और पुनर्जीवन के लिए एक विशेष परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने बेतवा नदी के संरक्षण और शुद्धिकरण के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का जिम्मा आईआईटी इंदौर के विशेषज्ञों को सौंपा है। इन विशेषज्ञों ने हाल ही में बेतवा नदी के घाटों, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और नालों का गहन सर्वेक्षण किया, ताकि नदी के प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों की पहचान की जा सके।

नदी की शुद्धता के लिए ठोस कदम
बेतवा नदी के संरक्षण के इस महत्वपूर्ण प्रयास में, विशेषज्ञ टीम ने नदी में मिलने वाले ठोस और तरल कचरे को नियंत्रित करने, नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने पर जोर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत नदी के बहाव क्षेत्र का भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिससे एक विस्तृत और व्यावहारिक डीपीआर तैयार किया जा सके। आईआईटी इंदौर की टीम ने नदी के विभिन्न घाटों, नालों और एसटीपी की वस्तुस्थिति का आकलन किया है। उन्होंने गंदगी के प्रमुख स्रोतों की पहचान कर ली है और अब अगला चरण नदी के बहाव क्षेत्र का अध्ययन और उसके प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने पर केंद्रित होगा। इस डीपीआर से बेतवा नदी के संरक्षण और शुद्धिकरण की दीर्घकालिक योजना को मूर्त रूप मिलेगा।

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