
मध्यप्रदेश के सीधी जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां चुरहट थाना प्रभारी ने डीजे की तेज आवाज से नींद में खलल पड़ने पर गुस्से में आकर डीजे वाले सहित कई अन्य लोगों को थाने ले जाकर जेल भेज दिया। यह घटना 31 जनवरी 2025 को हुई जब एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के बेटे अपने पिता को गाजे-बाजे के साथ घर ले जा रहे थे। इस दौरान तेज डीजे की आवाज से चुरहट थाना प्रभारी पुष्पेंद्र मिश्रा की नींद खुल गई, और उन्होंने गुस्से में आकर काफिले में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
क्या था पूरा घटनाक्रम?
गणपति पटेल, जो पीएचई विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे, अपने बेटे आर्यन पटेल और अन्य साथियों के साथ डीजे बजाकर नृत्य करते हुए घर लौट रहे थे। जब यह काफिला पुलिस कॉलोनी चुरहट पहुंचा, तो डीजे की तेज आवाज से थाना प्रभारी की नींद टूट गई। यह उनके लिए असहनीय था, जिसके बाद उन्होंने गुस्से में आकर काफिले के सभी लोगों को घसीटते हुए थाने पहुंचा दिया।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें थाना प्रभारी को आरोपियों को थाने ले जाते हुए देखा गया। वीडियो में दिखाया गया कि थाना प्रभारी ने गुस्से में आकर गाली-गलौज भी की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आरोपीगण के खिलाफ मप्र कोलाहल अधिनियम के तहत अपराध पंजीवद्ध किया गया और बाद में उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया गया।
थाना प्रभारी का बचाव
हालांकि, वायरल वीडियो के बाद थाना प्रभारी पुष्पेंद्र मिश्रा ने अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो में पूरी घटना का सही चित्रण नहीं किया गया है। उनका कहना था कि वीडियो का केवल एक छोटा हिस्सा दिखाया गया है, जबकि पूरे घटनाक्रम में काफिले में शामिल कुछ लोग मादक पदार्थ का सेवन कर रहे थे। इसके अलावा, वह दावा करते हैं कि जब डीजे की आवाज तेज हुई, तो कॉलोनी में रहने वाले पुलिसकर्मियों ने काफिले से आवाज कम करने की अपील की थी। इसके बावजूद कुछ लोग अभद्रता करने लगे और मारपीट पर उतारू हो गए, जिसके बाद पुलिस को बुलवाकर कार्रवाई की गई।
पुलिस अधीक्षक ने शुरू की जांच
सीधी के पुलिस अधीक्षक डॉ. रविंद्र वर्मा ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना था कि उन्हें भी इस घटना के बारे में जानकारी मिली है और जांच करवाई जा रही है। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समाज में प्रतिक्रिया
यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई है और लोग थाना प्रभारी की कार्रवाई को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग इसे कानून का उल्लंघन मानते हुए आरोपियों के साथ हुई कार्रवाई को गलत ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि थाना प्रभारी का गुस्सा जायज था, क्योंकि उन्होंने छात्रों की पढ़ाई में खलल डालने वालों के खिलाफ कदम उठाया।
इस घटना ने मध्यप्रदेश के पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। एक ओर जहां थाना प्रभारी ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराया, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और गवाहों की बातें इस पूरे घटनाक्रम को विवादित बना रही हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच के बाद प्रशासन किस दिशा में कदम उठाता है।