मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में औद्योगिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की

प्रदेश में औद्योगिक विकास के नए केंद्र बन रहे छोटे शहर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न छोटे शहरों जैसे ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा और नर्मदापुरम में औद्योगिक विकास को लेकर सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने कहा कि इन छोटे शहरों में औद्योगिक गतिविधियों का विस्तार हो रहा है, जो प्रदेश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इन शहरों में आयोजित इन्वेस्टर समिट ने प्रदेश में उद्योग, व्यापार और रोजगार के लिए बेहतर वातावरण तैयार किया है। इन समिट्स ने निवेशकों, उद्योगपतियों और स्थानीय जनता के बीच आत्मविश्वास भी बढ़ाया है। निवेशकों को इन शहरों में यह महसूस हुआ कि यहां पर्याप्त आधारभूत संरचनाएं और बेहतर जीवन जीने के संसाधन उपलब्ध हैं। वहीं, स्थानीय निवासियों को यह समझ में आया कि उनके शहरों में भी बड़े निवेशकों और उद्योगपतियों को आकर्षित करने की क्षमता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के औद्योगिक, पर्यटन और वन्यजीव क्षेत्रों में प्रगति के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। इन योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकार ने प्रदेश को एक नए आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में अग्रसर करने की योजना बनाई है।

मुहासा- बाबई जैसे स्थानों में औद्योगिक विस्तार
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि मुहासा- बाबई जैसे छोटे स्थानों में भी औद्योगिक गतिविधियों का बड़ा विस्तार हो रहा है। उनका कहना था कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर औद्योगिक गतिविधियों का समान रूप से विस्तार करना, इन्वेस्टर समिट का मुख्य उद्देश्य था। इससे प्रदेश के सभी हिस्सों में विकास की एक समान दिशा मिल रही है।

प्रदेश के मेट्रोपॉलिटन विकास की योजना
मुख्यमंत्री ने इंदौर- नागदा- उज्जैन- देवास- मक्सी (शाजापुर)- पीथमपुर (धार) के लगभग 8000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को मेट्रोपॉलिटन के रूप में विकसित करने की योजना का खुलासा किया। इसके लिए आवागमन के मार्ग, रेल नेटवर्क, बिजली, पानी, सफाई और सीवर लाइन जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं को विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र को आगामी 25 वर्षों में एक महानगर के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, भोपाल- सीहोर- रायसेन- विदिशा जैसे क्षेत्रों को भी मेट्रोपॉलिटन के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दिशा में विशेषज्ञों और आम जनता से सुझाव भी आमंत्रित किए जा रहे हैं।

उज्जैन में सिंहस्थ और धार्मिक नगर की योजना
मुख्यमंत्री ने उज्जैन में 2028 में होने जा रहे सिंहस्थ महाकुंभ के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि उज्जैन में 3300 हेक्टेयर क्षेत्र में धार्मिक नगर विकसित करने की योजना है। इस क्षेत्र में महामंडलेश्वर, शंकराचार्य, साधु, संत, महंत आदि को स्थायी रूप से अपने आश्रम बनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इसमें अन्न क्षेत्र, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसे सुविधाओं का निर्माण भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि पर्यटन को तीर्थाटन से जोड़ने की दिशा में उनकी सरकार ने विशेष पहल की है। राज्य सरकार भविष्य में पर्यटन और अन्य क्षेत्रों पर विशेष समिट आयोजित करने की योजना बना रही है।

एविएशन नीति में बदलाव और हेल्थ टूरिज्म के लिए नई पहल
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की एविएशन नीति में बदलाव के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विशाल भौगोलिक विस्तार को देखते हुए विमान सेवा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा इन्वेस्टर समिट के दौरान जबलपुर, रीवा और सिंगरौली जैसे शहरों के यात्रियों को विमान सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही, आयुष्मान योजना के तहत जरूरतमंद मरीजों को विमान और हेलीकॉप्टर से निशुल्क एयर एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हेल्थ टूरिज्म के क्षेत्र में नवाचार किया है, जिससे आम आदमी को लाभ मिलेगा।

प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा और पर्यटन को बढ़ावा
प्रदेश की वन्य जीवों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश वन्य जीवों के मामले में बहुत संपन्न है। प्रदेश में टाइगर, चीता, घड़ियाल आदि की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि चंबल नदी विश्व की सबसे सुंदर और स्वच्छ नदियों में शामिल है, और यहां पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। चंबल क्षेत्र में घड़ियालों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को समर्थन मिल रहा है। प्रदेश में टाइगर रिजर्व 7 से बढ़कर 9 हो गए हैं। इसके अलावा, हाल ही में रातापानी टाइगर रिजर्व को डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर स्थापित किया गया है।

राजस्थान सरकार से एओयू की प्रस्तावित योजना
मुख्यमंत्री ने जोधपुर में बन रहे लकड़ी के फर्नीचर के लिए मध्यप्रदेश से लकड़ी उपलब्ध कराने की योजना भी प्रस्तावित की। उन्होंने राजस्थान सरकार से एओयू (एग्रीमेंट ऑफ अंडरस्टैंडिंग) करने की पेशकश की है, जिससे प्रदेश के लकड़ी के संसाधनों का सही उपयोग किया जा सके।

नदी जोड़ो परियोजना और राज्यों के मधुर संबंध
मुख्यमंत्री ने केन बेतवा लिंक नदी जोड़ो परियोजना और काली सिंध पार्वती चंबल परियोजना के सफल क्रियान्वयन का भी उल्लेख किया। उनका मानना है कि ये परियोजनाएं राज्यों के मधुर संबंधों का श्रेष्ठ उदाहरण बनेंगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में औद्योगिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की

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