

हरदा, 19 फरवरी 2025 – प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृप्ति शर्मा ने नागरिकों से अपील की है कि वे आगामी 8 मार्च को आयोजित होने वाली लोक अदालत में राजीनामा योग्य प्रकरणों के निराकरण के लिए आगे आएं। उनका कहना है कि लोक अदालतों का आयोजन न्यायालय पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए किया जाता है।
लोक अदालत क्या है?
लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली है, जहां न्यायालय में लंबित मामलों का समाधान आपसी सहमति से किया जाता है। इस प्रक्रिया में पक्षकारों को बिना अदालत के लम्बे इंतजार के त्वरित समाधान का अवसर मिलता है। लोक अदालतों में विभिन्न प्रकार के मामलों का समाधान किया जाता है, जैसे विद्युत वितरण कंपनी के विद्युत बिल, बैंकों के ऋण से जुड़े मामले, चेक बाउंस और पारिवारिक विवाद आदि।
आपसी सहमति से समाधान
लोक अदालत का प्रमुख उद्देश्य विवादों का समाधान आपसी सहमति से करना है। इसमें दोनों पक्ष किसी तीसरे व्यक्ति की मदद से अपने विवाद का समाधान करते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कोई भी पक्ष हारता नहीं है, बल्कि दोनों पक्ष अपने आपसी सहमति से समाधान निकालते हैं। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों को संतुष्टि मिलती है और वे अदालत के फैसले को बिना किसी आपत्ति के स्वीकार करते हैं।
लोक अदालत के फैसलों का विशेष पहलू
लोक अदालत के फैसले पर कोई भी अपील नहीं होती, क्योंकि इन मामलों में किसी भी पक्ष को हार नहीं होती है। दोनों पक्षों के बीच सहमति से समाधान होने के कारण यह निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
न्यायिक बोझ कम करने का तरीका
जिला न्यायालय में मुकदमों की लंबी कतार और बोझ को कम करने के लिए लोक अदालत एक प्रभावी उपाय साबित हो रही है। इस प्रकार के आयोजन से ना केवल अदालतों पर दबाव कम होता है, बल्कि लोगों को त्वरित और सस्ता न्याय भी मिलता है।
निष्कर्ष
इस बार, 8 मार्च को आयोजित लोक अदालत में भी ऐसे ही राजीनामा योग्य मामलों का समाधान किया जाएगा। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस अवसर का लाभ उठाकर अपने विवादों का निपटारा करें और न्याय प्राप्त करें।