भोजपुर से न्यूज़ कांड के लिए आदित्य बेडवाल की ख़बर
भोपाल में महाशिवरात्रि पर भोजपुर महोत्सव का आयोजन!
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन रायसेन के सहयोग से महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भोजपुर स्थित शिव मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय “महादेव” भोजपुर महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रतिदिन सायं 6:30 बजे से शुरू होगा और श्रोताओं का प्रवेश निःशुल्क रहेगा। महोत्सव में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें संगीत, काव्य और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल हैं। भोपाल में भोजपुर महोत्सव ने अपनी सांस्कृतिक विविधताओं और भक्तिमय वातावरण के जरिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। महोत्सव के इस कार्यक्रम ने न केवल भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया, बल्कि कविता और संगीत के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को भी उभारा। भोजपुर महोत्सव का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

कार्यक्रम की पहली सभा: तालवाद्य कचहरी और शिव तांडव की प्रस्तुति
महोत्सव की दूसरी सभा में गुरुवार को तालवाद्य कचहरी में अंशुल प्रताप सिंह और उनके साथी कलाकारों ने ‘शिव तांडव’ की शानदार प्रस्तुति दी। कलाकारों ने विभिन्न तालों में भगवान शिव के महिमा का बखान किया। इस प्रस्तुति के दौरान, अंशुल ने तबला पर शिव के डमरू और शंखनाद का सामंजस्यपूर्ण प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, घटम् पर वरुण राजशेखरण, संतूर पर दिव्यांश श्रीवास्तव, वायलिन पर शुभम् सरकार, की-बोर्ड पर रोहन कामले और पखावज पर प्रखर विजयवर्गीय ने संगत दी। कार्यक्रम का समापन शिव तांडव पर जुगलबंदी के साथ हुआ, जिसमें सभी वाद्ययंत्रों ने मिलकर एक अद्भुत ताल वाद्य प्रस्तुत किया।

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन: भक्ति रस में डूबे श्रोतागण
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में दिल्ली से आए डॉ. हरिओम पंवार ने अपनी कविता “सिंहासन के माने होते हैं सिंहों सा आसन हो” से शुरुआत की और श्रोताओं को प्रभावित किया। उन्होंने हर संकट के समाधान के रूप में “आसमान के तारों से, सूरज किरणें नहीं माँगता” जैसी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद, डॉ. अनामिका अंबर ने देशप्रेम और शौर्य से भरी कविताएं प्रस्तुत की, जिसमें “वतन की धूल उड़-उड़ कर बदन को चूम लेती है” रचना ने सभी को भावुक कर दिया।

इसके अतिरिक्त, कवि बलराम श्रीवास्तव ने माँ भारती के चरणों में अपना शीश नमन करते हुए “जन्म हर बार लेना चाहता हूँ भूमि भारत में” कविता प्रस्तुत की। डॉ. विष्णु सक्सेना ने “जो हाथ थाम लो वो फिर न छूटने पाये” के माध्यम से प्रेम और समर्पण की भावना व्यक्त की। इस कवि सम्मेलन में इंदौर के अमन अक्षर और सांची के लक्ष्मण नेपाली ने भी अपनी रचनाओं से भक्तिमय वातावरण बना दिया।
भोजपुर महोत्सव का इतिहास
भोजपुर महोत्सव का आयोजन एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में किया जाता है, जो भोजपुर मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर करता है। यह महोत्सव महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित होता है और इसमें संगीत, काव्य, नृत्य, और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल होती हैं। भोजपुर मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था को बल देता है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
