“मध्यप्रदेश के एक गांव में बच्चों की पढ़ाई पेड़ के नीचे, सरकार के दावे जमीनी हकीकत से दूर”

न्यूज कांड के लिए मंदसौर से घनश्याम रावत की रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ डिवीजन के अर्निया मीणा गांव में एक ऐसी सच्चाई सामने आई है, जो शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोलती है। यहां के प्राथमिक विद्यालय के बच्चे अब पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, क्योंकि स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। यह दृश्य दर्शाता है कि जब तक शिक्षा के मंदिरों में ताला लगेगा और सरकारी दावे कुछ और होंगे, तब तक बच्चों का भविष्य पेड़ों के नीचे ही बसा रहेगा।

स्कूल भवन के जर्जर होने के कारण बच्चों को मिल रही परेशानी

यह विद्यालय 1997-98 में बना था, लेकिन अब यह बिलकुल नष्ट हो चुका है। अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण में भवन को शैक्षिक कार्य के लिए अयोग्य घोषित किया गया है, जिसके बाद इसे ताला लगाकर बंद कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि बच्चों को कहां पढ़ाया जाए? शिक्षक अब बच्चों को बरगद के पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाते हैं और अतिरिक्त कक्ष के बरामदे में कक्षाएं चल रही हैं। इस स्थिति में कक्षा 1 से 5 तक के 37 बच्चे पढ़ाई में असुविधा का सामना कर रहे हैं।

ग्रामीणों और शिक्षकों की अपील, सरकार से नया भवन बनाने की मांग
ग्रामीणों, शिक्षकों और सरपंच ने कई बार अधिकारियों से स्कूल का नया भवन बनाने की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बच्चों और ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द एक नया स्कूल भवन बनाया जाए ताकि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित और बेहतर हो सके।

जिला शिक्षा अधिकारी की प्रतिक्रिया
इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्षतिग्रस्त भवन पर ताला लगवाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि एक नया भवन बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है और उम्मीद है कि नए शैक्षिक सत्र के दौरान बच्चों के लिए नया भवन तैयार हो जाएगा। हालांकि, सवाल यह उठता है कि सरकारी योजनाओं और दावों के बावजूद शिक्षा व्यवस्था की यह स्थिति कब तक बनी रहेगी और कब बच्चों को एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिलेगा?

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