गाडगिल सागर डेम के पानी को नदी में छोड़ने से किसान परेशान


किसानों की हालत गंभीर, फसल सूखने के कगार पर
मन्दसौर जिले के काचरिया देव, चंदवासा, बरखेड़ा देव, देवीपुरा और चंगेरी क्षेत्र के किसानों के लिए गाडगिल सागर डेम एक वरदान साबित हुआ था। इस डेम के निर्माण के बाद किसानों को पर्याप्त पानी मिलने लगा था, जिससे उनकी फसलें समृद्ध हो रही थीं। लेकिन अब जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों ने चौथी बार नहर में पानी छोड़ने से मना कर दिया है, जिसके कारण किसानों की फसल सूखने के कगार पर है।

पानी नदी में छोड़ने का फैसला किसानों के लिए नुकसानदेह
किसानों का कहना है कि तीन बार पानी छोड़ा गया था और उनकी फसलें अच्छे से सिंचाई हो गई थीं, लेकिन अब चौथी बार पानी नदी में छोड़ने का निर्णय लिया गया है। जलसंसाधन विभाग के एसडीओ संजय कोहद का कहना है कि अब उनके पास पानी नहीं है, इसलिए नहर में पानी नहीं छोड़ा जा सकता। किसानों का आरोप है कि सांसद सुधीर गुप्ता के पत्र के आधार पर अधिकारियों ने नदी में पानी छोड़ने का आदेश दिया, जो किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

किसानों की मांग: एक बार और पानी दिया जाए
किसानों ने उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और कलेक्टर महोदया से भी पानी नदी में न छोड़ने की अपील की थी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए एक बार फिर मांग कर रहे हैं कि उन्हें पानी दिया जाए, ताकि उनकी फसलें सूखने से बच सकें। यदि पानी नहीं मिला, तो वे बर्बाद हो जाएंगे और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

नदी में पानी छोड़ने के फैसले का जिम्मेदार कौन?
किसानों का कहना है कि अगर महीने पहले पानी नदी में नहीं छोड़ा गया होता, तो अब उनके पास पर्याप्त पानी होता और उनकी फसलें सूखने से बच जातीं। ऐसे में अधिकारियों के इस फैसले ने किसानों की कठिनाइयों को बढ़ा दिया है।