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Illegal Immigrants: पंजाब से अमेरिका कैसे पहुंचे जसपाल सिंह? पूरी कहानी सुनकर आ जाएंगे आंखों में आंसू

अमेरिका से भारत लौटे जसपाल सिंह की दर्दनाक कहानी

बुधवार को जसपाल सिंह, जो कि अमृतसर के निवासी हैं, एक अमेरिकी सैन्य विमान से वापस भारत लौटे। वे उन 104 भारतीय प्रवासियों में से एक थे जिन्हें हाल ही में अमेरिका से निर्वासित किया गया था। इन प्रवासियों की यात्रा की कहानी न केवल उनकी हिम्मत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि उन्हें किस तरह धोखा दिया गया और उनके साथ कितना भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया।

वीजा का धोखा और जालसाजी का शिकार

जसपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने एक एजेंट के साथ एक समझौता किया था, जिसमें उन्हें यह वादा किया गया था कि वे वैध तरीके से और उचित वीजा के साथ अमेरिका पहुंचेंगे। इसके लिए उन्होंने 30 लाख रुपये का भुगतान किया था, लेकिन अंत में उन्हें धोखा ही मिला। सिंह का कहना था कि उन्होंने अपनी पूरी राशि खो दी और अपना सपना टूटता हुआ देखा।

सिंह ने बताया कि पहले उन्होंने पंजाब से यूरोप जाने का प्रयास किया, यह सोचकर कि वे वैध तरीके से अमेरिका जा रहे हैं, लेकिन वहां से उन्हें ब्राजील भेजा गया। अंत में, उन्हें ‘डुंकी’ मार्ग का सहारा लेना पड़ा, जिसके लिए उन्हें छह महीने तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

अमेरिकी सीमा गश्ती दल द्वारा गिरफ्तार

सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को वे अमेरिकी सीमा में घुसे थे, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उन्हें पकड़ लिया। पूरी यात्रा के दौरान उन्हें और अन्य निर्वासित प्रवासियों को हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डालकर रखा गया। जसपाल सिंह समेत 104 लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे पर लाया गया, जहां उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया गया कि मानो वे कोई अपराधी हों।

नारी और बच्चों का दुखद सफर

जसपाल सिंह ने यह भी बताया कि उन निर्वासितों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग बच्चे भी थे। इनमें से एक बच्चा चार साल का था और दो लड़कियां, जिनकी उम्र पांच और सात वर्ष थी, भी शामिल थीं। इन प्रवासियों के साथ इतनी क्रूरता से पेश आना, खासकर छोटे बच्चों और महिलाओं के साथ, एक गंभीर मुद्दा बन गया है।

पंजाब के निर्वासितों को उनकी घर वापसी

अमेरिकी विमान से लौटने के बाद, सभी निर्वासित प्रवासियों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके घरों तक पहुंचाया गया। जसपाल सिंह और अन्य लोगों के लिए भविष्य अब अनिश्चित है, क्योंकि उनकी यात्रा ने उन्हें न केवल मानसिक बल्कि आर्थिक रूप से भी तोड़ा है।

प्रश्न उठते हैं मानवाधिकारों पर

इस घटना ने अमेरिका और भारत दोनों देशों के बीच अवैध प्रवासियों के अधिकारों और उनके साथ होने वाले व्यवहार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बर्बरता के बावजूद, जसपाल सिंह जैसे लोग अपनी उम्मीदों और सपनों को लेकर अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी यात्रा आखिरकार केवल दर्द और हताशा लेकर आती है।

भविष्य की उम्मीदें और कड़ी परीक्षा

जसपाल सिंह और उनके जैसे अन्य प्रवासियों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। वे अब अपनी जीवन की पुनः शुरुआत करने का प्रयास करेंगे, लेकिन उनके अनुभव और कड़वी यादें उन्हें जीवन भर साथ रहेंगी। यह कहानी उस प्रणाली के खिलाफ एक चेतावनी है, जो लोगों के सपनों का फायदा उठाकर उन्हें दीन-हीन परिस्थितियों में छोड़ देती है।

संक्षेप में
यह घटना उस विश्वासघात को उजागर करती है, जो अवैध प्रवासियों के साथ होता है। यदि प्रवासी अवैध रास्तों से देश में प्रवेश करते हैं, तो न केवल उनकी यात्रा के दौरान अपमान होता है, बल्कि अंत में उन्हें वापसी की पीड़ा भी सहनी पड़ती है। जसपाल सिंह और उनके जैसे अन्य लोग भविष्य में इस अनुभव से कुछ सिखने की कोशिश करेंगे, लेकिन वे अब तक अपनी यात्रा के दुखद परिणाम भुगत चुके हैं।

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